Monday, November 1, 2010

दिल ये मेरा समंदर तो नहीं

दिल ये मेरा समंदर तो नहीं,
दर्द से भर आता है ये क्यों l
रोऊंगा मै बारबार,
कोई न हमें सताए क्यों,
दिल ये मेरा समंदर तो नहीं,
दर्द से भर आता है ये क्यों l

दिल का हम अपने क्या करें,
उल्फत में तेरी चूरचूर,
मौत आये तो आ भी जाये,
तेरी ये याद न जाये क्यों,
दिल ये मेरा समंदर तो नहीं,
दर्द से भर आता है ये क्यों l

एक हम हैं कि हमें चैन नहीं,
एक वो हैं कि उन्हें फर्क नहीं,
फिर भी न हमें होश क्यों,
फिर भी हैं इतने हम मस्त क्यों,
दिल ये मेरा समंदर तो नहीं,
दर्द से भर आता है ये क्यों l

रोतें हैं शबेरोज़ जिसके लिए,
कहीं और ही वो मसरूफ  है,
फिर भी क्यों उसकी आरज़ू, 
फिर भी क्यों उसकी जुस्तजू,
दिल ये मेरा समंदर तो नहीं,
दर्द से भर आता है ये क्यों l


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