Tuesday, May 22, 2007

युद्ध

लौह पुरुष कहते हैं स्वयं से,
युद्ध करो ओ भारत , युद्ध करो।
ये जीवन मिला है युद्ध करने के लिए ,
युद्ध भी करना विजय भी पानी है ,
जीवन नही ये सिर्फ ये जीतने के लिए पर,
पर फिर भी जीतना है फैलाव के लिए, विस्तार के लिए,
सत्य का विस्तार, अच्छाई का विस्तार , जीवन का विस्तार करने के लिए
लड़ना होगा हमे जितने के लिए,
लड़ना होगा हमे जीवन कि रक्षा के लिए,
लड़ना होगा युग परिवर्तन के लिए,
स्वार्थ रूपी इस विष को अंतर मन से बाहर निकालना होगा, हमे जितने के लिए,
जहाँ तक आंख जाती है शत्रु ही शत्रु हैं ,
पर फिर भी लड़ना होगा हमे जीतने के लिए,
लड़ना होगा हमे स्वार्थ रूपी शत्रु को हराने के लिए,
लड़ना होगा हमे प्रेम के लिए
लड़ना होगा हमे विस्तार के लिए।