Wednesday, June 2, 2010

मेरी नन्ही परी



ओ परी , मेरी परी , प्यारी  परी,







इन्तिज़ार करता हूँ तेरा बचपन से मै
मेरी प्यारी परी,
जब छोटा था सुनता तेरी कहानी ओ परी,
और सोचता था कब मिलेगी मुझे मेरी नन्ही परी,
सोचता था मिलेगी जब, बहुत प्यार करेगी मुझे वो परी,
खूब खेलेगी वो साथ मेरे,
और में बोलूँगा मेरी परी, मेरी परी,
मेरी प्यारी परी,
इन्तिज़ार करते बचपन बीत गया,
और कहीं न मिली मुझे वो परी,
बड़ा हुआ तो ढूंडा फिर भी तुझे ओ परी,
दोस्तों से दूर रहा
बचपन फिर भी न गया
दिल ने तुझे ही याद किया
और बोला कहाँ है तू मेरी नन्ही परी,
जवानी आई पर उम्मीद न रही मिलने की तेरी,
ओ मेरी प्यारी  परी,
न था धन, न थी दौलत, और न ही थी उम्मीद मेरे पास,
न ही ढूँढता था तुझे ओ मेरी परी,
फिर अचानक तू एक दिन मेरे सामने आई,
डर से तेरे फिर से चले जाने के,
आँखे बचाने लगा तुझसे मै परी,
और अपने को समझाने लगा यहाँ नहीं है कोई परी,
चला गया वहां से मै,
और याद करने लगा तुझे ओ परी,
दुबारा तू एक दिन सामने आई 
पहचान कर बैठी तू मेरे साथ ओ परी,
तुझे बुरा न लगे इसीलिए देखता था तेरी तरफ 
फिर उसी डर से चुराता था नज़र मै ओ परी,
पर दिल में  थी एक आह भरी,
चला तो गया वहां से मगर फिर भी तू मुझे याद रही,
तीसरी बार मुझे फिर जो तू मिली,
बेचैनी सी दिल में मेरे होने लगी,
और मन में कहने लगा
नहीं नहीं, नहीं नहीं,
आऊंगा नहीं तेरे सामने कभी,
क्योंकि होने लगा था मुझे तुझसे प्यार ओ परी,
और कुछ भी तो नहीं मेरे पास मेरी परी,
ओ  मेरी नन्ही परी, प्यारी परी,
फिर एक दिन 8 महीने बाद खड़ा था मै कहीं,
अचानक चौथी बार खिलखिलाते हुए
आ गयी मेरे सामने तू मेरी परी,
दिल को मेरे चैन मिला,
और मन ही मन में कहने लगा
ओ  मेरी नन्ही परी, प्यारी परी,
फिर दिल संभाल न सका,
और अपने को मै कहने लगा,
मिल तो सकती नहीं मुझे ये अच्छी परी,
पर करूँगा दोस्ती तुझसे मै परी,
लालच सा था मन मै साथ मिलेगा मुझे तेरा
ओ मेरी प्यारी प्यारी परी,
जाता था जब भी तेरे सामने
कुछ और तो क्या अपना नाम भूल जाता था,
दिल तो तुम्हारे पास था, 
और दिमाग भी खो जाता था,
कहना था बहुत कुछ पर,
फिर भी कुछ कह न पाता था,
मुझे क्या पता था की होगा एक बार फिर ऐसा फेरा,
बदल जाएगी दुनिया हो जायेगा अँधेरा,
पास जाने लगा मै तेरे और दूर जाने लगी तू मुझसे,
मन मेरा रोया बहुत की ये क्या हो गया,
प्यार जिसे मै करता हूँ
वो ही मुझसे कितना दूर हो गया,
देख कर परेशां तुम्हे एक दिन
लिया मैंने कागज़ और कलम का सहारा,
पर दिल की बात कहने के लिए
मुझे ये अंदाज़ बहुत भाया,
उतार दिया अपनी कुछ पंक्तियों को कागज़ पर मैंने,
सोचा भी न था होगा क्या परिणाम मैंने,
फिर कोशिश करने लगा कहने की तुमसे खूब,
पर कहता क्या, दिल रो रहा था और मुह गया था सूख,
हो गयी तू मुझसे और भी दूर परी,
करता रहा कोशिश तुमसे करने की बात ओ परी,
तुम्हे न भाई मेरी कोई बात परी,
हो गयी मुझे अनसुना करके तुम मुझसे दूर परी,
मन ही मन मै रोता रहा और कहता रहा,
न जा, न जा, न जा मुझसे तू दूर मेरी नन्ही परी,
मेरी नन्ही परी मेरी प्यारी परी,
तुझमे है बसी मेरी जान बसी, मेरी प्यारी परी,
था कितने सालों से तेरा इन्तिज़ार मेरी प्यारी परी,
पता चला एक दिन मुझे  जा रही है तू
मेरा शहर छोड़कर ओ मेरी प्यारी परी,
हो उठा मै बेचैन मेरी प्यारी परी,
जा पहुंचा उस जगह में मेरी प्यारी परी,
करने लगा तेरा इन्तिज़ार ओ मेरी प्यारी परी,
आ गयी जब उस जगह तू मेरी प्यारी परी,
तुने भी देखा मुझे, 
मैंने भी देखा तुझे ओ मेरी प्यारी परी,
आँखों से अपनी कहने लगा
मुझे ऐसे छोड़ के न जा मेरी प्यारी परी,
कैसे जी पाऊंगा मै तेरे बिन ओ मेरी परी,
अब तू नहीं मेरे पास मेरी प्यारी परी,
फिर भी देखता हूँ तेरी राह मेरी प्यारी परी,
आ जा, आ जा, आ जा,
मेरे पास मेरी प्यारी परी,
मेरी परी, नन्ही परी, प्यारी परी. 

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